जिनका मन पढ़ाई में नहीं लगता हो या हकलाने या बोलने में दिक्कत हो वसंत पंचमी पर करें यह उपाय।
वसंत पंचमी के दिन पति –पत्नी दोनों मिलकर काम देव और उनकी पत्नी रति की पूजा करें तो दांपत्य जीवन सर्वतोभावेन सुखी ऐश्वर्य पूर्ण हो जाता है।
जम्मू कश्मीर : माघ मास शुकल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी के रूप में मनाते हैं। वसंत पंचमी के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया सन् 2024 ई. माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से प्रारम्भ होगी,जो 14 फरवरी बुधवार को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी।सूर्योदय व्यापिनी माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि 14 फरवरी बुधवार को होगी,ऐसे में वसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी बुधवार को ही मनाया जाएगा। वसंत पंचमी को श्रीपंचमी,वागेश्वरी जयंती एवं सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। वसंत पंचमी पूरा दिन शुभ होता है आप कोई भी शुभ कार्य पूरा दिन कर सकते हैं।
विद्यारंभ करने का शुभ दिन है वसंत पंचमी या वसंत पंचमी माघ पंचमी को ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप मे वसंत पंचमी के रुप में मनाया जाता है। इस दिन ऋतुराज बसंत का आगमन हो जाता है,इस दिन श्री गणेश,माता सरस्वती ,श्रीलक्ष्मीनारायण, श्रीकृष्ण – राधा की पूजा की जाती है ,इनकी पूजा पीले पुष्पों से करें फिर मीठे एंव पिले चावल एंव पीले हलवे का भोग भगवान को लगा कर स्वयं सेवन करें और इस दिन पीले वस्त्र पहनें,इस दिन कामदेव और इनकी पत्नी रति धरती पर आते हैं और प्रकृति में प्रेम रस का संचार करते हैं इसलिए वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती के साथ कामदेव और रति की पूजा का भी विधान है, पति –पत्नी दोनों मिलकर काम देव और रति की पूजा करें तो दांपत्य जीवन सर्वतोभावेन सुखी ऐश्वर्य पूर्ण हो जाता है। वसंत पंचमी को व्यापारी लोग श्रीलक्ष्मीनारायण जी की पूजा करते हैं। विद्यार्थी इस दिन किताब-कॉपी और पाठ्य सामग्री की भी पूजा करते हैं। कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सभी इस दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों और यंत्रों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।
इस दिन कई स्थानों पर शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। इसका कारण यह है कि इस दिन को विद्या आरंभ करने के लिये शुभ माना जाता है।
महंत रोहित शास्त्री ने बताया मां सरस्वती का संबंध बुद्धि से है,ज्ञान से है यदि आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, यदि आपके जीवन में निराशा का भाव बहुत बढ़ गया है, तो वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन अवश्य करें, सरस्वती स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करने से विद्यार्थियों को लाभ होता है,मां के आशीर्वाद से आपका ज्ञान बढ़ेगा और आप जीवन में सही निर्णय लेने में सफल होंगे।
जिनको हकलाने या बोलने में दिक्कत हो तो बांसुरी के छेद से शहद भरकर उसे मोम से बंद कराकर जमीन में गाड़ देना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों बोलने की दिक्कत दूर होती है,या वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के बाद बीज मंत्र ‘ऐं’ का जाप जीभ को तालु में लगाकर करना चाहिए।
बच्चे को अगर ज्ञानी बनाना है तो इस दिन उसके जीभ पर शहद से ॐ बनाएं।
वसंत पंचमी के दिन से अपने मस्तक पर केसर अथवा पीले चंदन का तिलक करें, इससे ज्ञान और धन में वृद्धि होती है। इस दिन कन्याओं को पीले-मीठे चावलों का भोजन कराया जाता है तथा उनकी पूजा की जाती है। जरूरतमंद लोगों को यथासंभव दान अवश्य करें।
वसंत पंचमी के दिन कटु वाणी से मुक्ति हेतु,वाणी में मधुरता लाने के लिए देवी सरस्वती पर चढ़ी शहद को नित्य प्रात: सबसे पहले थोड़ा से अवश्य चखे ।
स्वास्थ्य के लिए ‘ॐ जूं स:’ का जप करें।
धन के लिए ‘ॐ श्रीं नम:’ या ‘ॐ क्लीं नम:’ का जप करें।
वसंत पंचमी के दिन अथवा प्रतिदिन प्रातः उठकर बच्चों को अपनी हथेलियां देखनी चाहिए। क्योंकि कहते हैं- कराग्रे लक्ष्मी बसते, कर मध्ये सरस्वती, कर मूले तू गोविदः प्रभाते कर दर्शनम्। यानी हथेली मां सरस्वती का वास होता है जिनकों देखना मां सरस्वती के दर्शन करने के बराबर होता है।
वसंत पंचमी को सरस्वती के दिन स्नान-दान और पूजन करने से पापों का क्षय और अविद्या का नाश होता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार वसंत पंचमी के दिन सिद्ध मुहूर्त माना गया है यानी इसदिन बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं,जैसे यज्ञोपवीत संस्कार,मुंडन संस्कार,वाहन लेना,भूमि लेना,गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य कर सकते हैं।
इस दिन मथवार में बाबा बल्लो जी देव स्थान पर मेला लगता है। इसके अतिरिक्त इस दिन पीले फूलों से शिवलिंग की पूजा करना भी विशेष शुभ माना जाता है।