*इस बार दीपावली व्यापारियों एवं जनता के लिए लाभकारी ,शुभ एवं फलदाई होगी*
जम्मू कश्मीर : दीपावली का त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दीपावली देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है दीपावली पर शुभ मुहूर्त और सही विधि से पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इस वर्ष दीपावली और नरक चतुर्दशी का त्योहार 12 नवम्बर रविवार को एक ही दिन है। क्योंकि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आरंभ 11 नवम्बर शनिवार दोपहर 01 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और चतुर्दशी तिथि 12 नवम्बर रविवार दोपहर 02 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। धर्मग्रंथों के अनुसार,उदया तिथि में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है ऐसे में इस साल 12 नवम्बर रविवार को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली मनाई जाती है।
अमावस्या तिथि 12 नवम्बर रविवार दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी और 13 नवम्बर सोमवार दोपहर 02 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। दीपावली अमावस्या तिथि की रात और लक्ष्मी पूजन अमावस्या की शाम को होती है,क्योंकि अमावस्या तिथि 13 नवम्बर सोमवार दोपहर 02 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी ,इस लिए दीपावली का पर्व एवं नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) 12 नवम्बर रविवार को एक ही दिन मनाई जायेगी।
देवी लक्ष्मीजी कार्तिक मास की अमावस्या के दिन समुन्द्र मंथन में से प्रकट हुई थीं,इसी दिन भगवान राम चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्यावासियों ने घर में घी के दिए जलाए थे और अमावस्या की काली रात भी रोशन हो गई थी इसलिए यह पर्व इस दिन मनाया जाता है। महंत रोहित शास्त्री ने बताया इस बार दीपावली व्यपारियो एवं जनता के लिए लाभकारी एवं शुभ फलदाई रहेगी। इस दिन आयुष्मान और सौभाग्य रहेगा इन शुभ योगों में दिवाली सभी के लिए सुख-समृद्धि और मंगलकामना साबित होगी।
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: 12 नवम्बर शाम 05:41 से 07:37 तक। प्रदोष काल शाम 5:28 से रात 8:08 तक रहेगा।
दीपवाली के दिन स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता आप इस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं,फिर भी खरीददारी एवं पूजन के विशेष मुहूर्त इस प्रकार है :-
दिवाली महानिशीथ काल पूजा मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त- 11:40 से 12:30 तक
सिंह काल- 12:12 से 02:30 तक
दिवाली शुभ चौघड़िया पूजा मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त्त (शुभ)- 01:27 से 02:46 तक
सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल)- 05:29 से 10:26 तक
रात्रि मुहूर्त्त (लाभ)- 01:43 से 03:22 तक
उषाकाल मुहूर्त्त (शुभ)- 05:02 से 06:41 तक
किस की पूजा करें इस दिन :-
भगवान श्रीगणेश जी,श्रीलक्ष्मीनारायण, धन के स्वामी कुबेर ,कलश पूजन एवं दीपदान करना शुभ होगा।
पूजन विधि :- इस दिन आप शुद्ध जल से स्नान कर पूजा के स्थान को गंगाजल का अभिषेक कर शुद्ध कर एक चौकी पर लाल वस्त्र डालकर भगवान गणेश,कुबेर लक्ष्मीनारायण जी का षोडशोपचार पूजन का धुप दीप प्रज्वालित कर श्रीसूक्तम, कनकधारा, लक्ष्मी चालीसा समेत किसी भी लक्ष्मी मंत्र का जप पाठ आदि करना चाहिए। दीपावली की रात्रि को किए गए जप, तप, मंत्र, अनुष्ठान आदि करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि दीपावली पर लक्ष्मी पूजन सही विधि से किया जाए तो धन में वृद्धि होती है।
पूजन मंत्र :-
ॐ हिरण्यवर्णान हरिणीं सुवर्ण रजत स्त्रजाम
चंद्रा हिरण्यमयी लक्ष्मी जातवेदो म आ वहः।।
खीर का भोग पूजा करने के बाद आरती करें।
दीपावली पूजन के पश्चात सभी सामग्री देवि एवं देवताओ की स्थापना को सारी रात यथा स्थान रहने दे। विसर्जन अगले दिन करे । ध्यान रहे कि गणेश लक्ष्मी जी की मूर्ति को विसर्जन करना चाहिए,चढ़ाई हुई सामग्री एवं दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दे या मंदिर में दान करे, दीपावली के दिन शाम को देव मंदिरों के साथ ही गृह द्वार, कूप, बावड़ी, गोशाला इत्यादि में दीपदान करना चाहिए।
व्यापारियों को भी इस रात तथा स्थिर लग्न में अपने प्रतिष्ठान की उन्नति के लिए,खाते का पूजन,गणेश,श्रीलक्ष्मीनारायण और कुबेर का पूजन करना चाहिए।
इस दिन आप क्या खरीदे:-
इस दिन आप प्रॉपर्टी, जमीन,जायदाद, मकान, दुकान, आभूषण, सोना, चांदी,बर्तन, मूर्ति,दोपहिया व चार पहिया वाहन, टीवी, फ्रिज, एसी, कंप्यूटर,लैपटॉप खरीदने, निवेश करने और नए उद्योग की शुरुआत ,मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सामान ,धन, धान्य, समृद्धि के लिए एवं अन्य कीमती धातु खरीद सकते हैं।
इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,इन दिनों में शराब,जुआ खेलना आदि से भी दूर रहना चाहिए, इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।
पूजन सामग्री
दूध,दही,शहद,शक्कर,देसी घी गाय का,कमल व गुलाब के फूल,पान,रोली, केसर, चावल, सुपारी, ऋतु फल, पुष्प माला, इत्र, खील, बताशे, पंचमेवा, मिठाई, गंगाजल, दीपक, रुई , कलावा, नारियल,तांबे का कलश, चांदी का सिक्का,आटा,तेल,लौंग,लाल कपड़ा,एक चौकी और तीन थाली,डुने,ग्यारह दीपक, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, दुर्वा,इलायची,कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती एवं कुशासन या लाल कम्बल -आसन के लिये