*श्रीदुर्गाष्टमी 22 अक्टूबर रविवार और श्रीदुर्गा- नवमी 23 अक्टूबर सोमवार और विजयदशमी (दशहरा) 24 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जाएगा*
जम्मू कश्मीर : व्रतों और पर्वो की तिथि को लेकर कई बार असमंजस की स्थिति बन जाती है कि व्रत किस दिन रखे। आश्विन नवरात्र 15 अक्तूबर रविवार से शुरू हुए थे और कन्या पूजन देवी दुर्गा की साख विसर्जन के साथ समाप्त होंगे, श्रीदुर्गाष्टमी,श्रीदुर्गा-नवमी एवं विजयदशमी (दशहरा) के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि श्रीदुर्गाष्टमी का पर्व 22 अक्टूबर रविवार को, श्रीदुर्गानवमी 23 अक्टूबर सोमवार को और विजयदशमी का पर्व 24 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जाएगा।
देवी दुर्गा के कुछ भक्त अष्टमी में और कुछ नवमी के साख विसर्जन एवं कन्या पूजन करते हैं,अगर किसी कारणवश भक्त अष्टमी या नवमी तिथि को साख प्रवाहित एवं कन्या पूजन नहीं कर पाये तो चतुर्दशी तिथि को साख प्रवाहित एवं कन्या पूजन कर सकते हैं।
नवरात्र के नौ दिनों की सारी उपयोग में लाई सामग्री, कलश, परात में बोये ज्वार के अंश (देवी दुर्गा की साख) मिट्टी तथा अन्य सभी चीजों को किसी तालाब या नदी में बहा देना चाहिए,साख के साथ पॉलीथीन ना डाले इस से जल प्रदूषण होता है इस बात का विशेष ध्यान रखे।
धर्म ग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात् माता का स्वरूप मानी जाती है। कन्या पूजा के बिना नवरात्र का अनुष्ठान संपन्न नहीं होता, इस दिन देवी दुर्गा के भक्त कन्या पूजन भी करते हैं मान्यता के अनुसार कुछ परिवारों में कन्या पूजन अष्टमी के दिन होता है तो कुछ में नवमी के दिन। इन कन्याओं को मां दुर्गा के नौ रूपों के नौ स्वरूप मान कर इनकी पूजा की जाती है । इस दिन दुर्गा मां की पूजा के बाद कंजकों (कन्याओं) को भोजन कराया जाता है। नौ कन्याओं के साथ ही एक लड़के को भी भोजन कराया जाता है, कन्याओं पूजन से पहले कन्याओं के पैर साफ पानी से धोएं जाते हैं,तिलक लगाएं और फिर मौली बांधे,व्रती के घर में इस दिन खीर, पूड़ी, हल्वा और काले चने बनाए जाते हैं और कन्याओं को खिलाया जाता है। व्रती सभी कन्याओं से आशीर्वाद लेकर इन्हें भेंट स्वरूप कुछ गिफ्ट या दक्षिणा देते हैं ।
*कन्याओं से इन मंत्रों से प्रार्थना करें*
*मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्। नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।*
*जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि। पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।*
*।। कुमार्य्यै नम:, त्रिमूर्त्यै नम:, कल्याण्यै नमं:, रोहिण्यै नम:, कालिकायै नम:, चण्डिकायै नम:, शाम्भव्यै नम:, दुगायै नम:, सुभद्रायै नम:।।*
व्यक्ति अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त करते हैं, इसलिए कहा गया है कि हर व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद व्यक्ति को कुछ न कुछ दान अवश्य करना चाहिए।जो व्यक्ति दान करता है उस व्यक्ति के परिवार में भी हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है, यहाँ पर आपको बताया गया है कि नवरात्रों में अष्टमी-नवमी के दिन कन्या पूजन के समय राशि अनुसार इन चीजों का दान करें :-
*आपकी राशि वही होती है, जन्म के समय आपका चन्द्रमा जिस राशि में होता है।*
मेष राशि – इस दिन आप कन्याओं को लाल वस्त्र, लाल रुमाल,लाल कंगन, राजमाश,गुड़,नारियल,घी, केसर,21रुपए कन्याओं को भेंट करें।
वृष राशि – चांदी के कोई आभूषण, आटा,चीनी, चावल,दूध, सफेद वस्त्र भेंट स्वरूप दे सकते हैं।
मिथुन राशि -इस दिन आप कन्याओं को हरे रंग के वस्त्र,कांसे का कोई बर्तन, मूंग की दाल, घी, हरा फल आदि कन्याओं को भेंट करें।
कर्क राशि- इस राशि के लोगों के लिए कन्याओं को चांदी की कोई वस्तु जैसे थाली,गिलास, चम्मच,चावल,मिश्री, सफेद वस्त्र, दूध आदि कन्याओं को भेंट करें।
सिंह राशि – स्वर्ण के आभूषण,तांबे का बर्तन, गुड, घी, माता की लाल चुनरी, केसर और 11 रुपए भेंट करें।
कन्या राशि- कन्या राशि के लोगों के लिए कन्याओं को हरे रंग के वस्त्र,चांदी के सिक्के,किताबे कन्याओं को भेंट करें।
तुलाराशि- तुला राशि के व्यक्ति भी कन्याओं को कोई सफेद रंग के वस्त्र कपड़ा, चावल,आटा भेंट करें।
वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि के लोग कन्याओं को माता की लाल रंग के वस्त्र, गुड़, घी आदि भेंट करें।
धनु राशि – पीले रंग के वस्त्र,कांस्य पात्र,हल्दी, घी, केले आदि भेंट करें।
मकर राशि – चांदी के सिक्के,लोहे की कोई चीज,नीले रंग के वस्त्र, तेल या आयनमेंट आदि का भेंट करें।
कुंभ राशि – चांदी के कंगन, मकर के समान ही कुंभ राशि के लोग भी कन्याओं को नीले रंग के वस्त्र आदि भेंट करना कल्याण कारी रहता है।
मीन राशि- पीले रंग के वस्त्र, सोने के आभूषण, हल्दी आदि कन्या को अवश्य भेंट करें।
*ऊपर लिखित चीजों में यह जरूरी नहीं है कि आप सभी चीजों का दान करें। आप सामर्थ्य के अनुसार किसी एक चीज का भी दान कर सकते हैं।*
इस तरह कन्या पूजन समाप्त हो जाता है। कन्या पूजन के बाद नवरात्र का आखिरी काम होता है व्रत खोलना । व्रत खोलने को नवरात्र पारण कहा जाता है ।